
नदबई की पंजाबी कॉलोनी स्थित गुरुद्वारा नानक दरबार में शुक्रवार रात गुरु तेगबहादर साहिब जी का शहादत दिवस श्रद्धा और भक्ति भाव से मनाया गया। इस मौके पर गुरुद्वारे में आयोजित कीर्तन दरबार ने संगत को गुरु के बताए रास्ते से जोड़ने का कार्य किया। शाम को आयोजित कीर्तन दरबार में संगत ने कीर्तन के माध्यम से उनकी शिक्षा और त्याग को याद किया। वहीं अरदास बेनती के पश्चात संगत के लिए गुरु के लंगर का आयोजन किया गया।
गुरु तेगबहादर साहिब जी का शहादत दिवस के अवसर पर गुरुद्वारे में बड़ी संख्या में संगत ने पहुंचकर माथा टेका और अपने परिवार की सुख-शांति और समृद्धि की कामना की। गुरुद्वारे के ग्रंथी भाई हरबंस सिंह खालसा ने गुरु तेगबहादर साहिब के बलिदान और जीवन पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा,
गुरु तेगबहादर साहिब सिख धर्म के नवें गुरु थे, जिनका जीवन त्याग, बलिदान, और मानवता की सेवा के लिए समर्पित था। गुरु जी का मूल नाम त्याग मल था, लेकिन उनके बलिदानी और त्यागमयी स्वभाव के कारण उन्हें तेगबहादर का नाम दिया गया।
गुरु तेगबहादर जी ने धर्म की रक्षा के लिए अपने प्राणों का बलिदान दिया। उनका जीवन हमें सिखाता है कि सत्य, न्याय और धर्म के मार्ग पर अडिग रहना चाहिए। आज के समय में हमें उनकी शिक्षा को आत्मसात करते हुए उनके दिखाए मार्ग पर चलना चाहिए। इस मौके पर गुरुप्रीत सिंह, जसमीत सिंह, वरुण तनेजा, घनश्याम सहगल, करमजीत सिंह, कुलमीत सिंह, प्रणव सहगल, दक्ष सहगल समेत अन्य गणमान्य लोग मौजूद रहे। सभी ने इस अवसर पर संगत के बीच मिलकर गुरु जी को नमन किया।