
राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने देश में बैलेट पेपर से चुनाव करवाए जाने की पैरवी की है। इसके साथ ही कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड्गे की ओर से EVM पर उठाए गए सवालों का भी समर्थन किया है। गहलोत का कहना है कि महाराष्ट्र और हरियाणा में अप्रत्याशित नतीजों से EVM से भरोसा उठने लगा है। अगर EVM सही है, तो वीवीपैट पर करोड़ों का खर्च क्यों किया जा रहा है?
पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने EVM पर उठ रहे सवालों का समर्थन किया है। गहलोत का कहना है कि लोकतंत्र का यही तकाजा है कि विपक्ष कोई बात बोले तो बिना प्रतिष्ठा का सवाल बनाए इस पर स्टडी करवाएं। सर्वे करवाया जाए कि देश की जनता का मूड क्या है, क्या जनहित में है। ताकि आने वाले समय में लोकतंत्र मजबूत रहे। EVM को लेकर सुप्रीम कोर्ट तक केस दायर किया गया था। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने EVM में VVPAT लगाने का आदेश दिया। यह नौबत क्यों आई ? इसका मतलब सुप्रीम कोर्ट ने माना होगा कि मशीनों को टेम्पर किया जा सकता है।पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि आजकल कई लोग वोट देने नहीं जाते। सोचते हैं कि जब वोट किसी को देंगे और वो किसी और के खाते में जाएगा तो वोट देकर क्या करेंगे। लोगों का EVM से विश्वास उठ रहा है।
गहलोत ने कहा कि अमेरिका-इंग्लैंड जैसे देशों ने भी पहले मशीन से चुनाव करवाए, मगर अब बैलेट पेपर से चुनाव करवाने लगे हैं। तो हमारे देश में बैलेट पेपर से चुनाव क्यों नहीं होने चाहिए, जिससे लोगों का विश्वास कायम रखा जा सके।अशोक गहलोत ने कहा कि हरियाणा में एग्जिट पोल ही नहीं भाजपा भी मान रही थी कि कांग्रेस बहुमत से जीतेगी। मगर उल्टा हो गया। महाराष्ट्र में भी गजब हो गया। हार जीत अलग बात है, मगर मैं खुद एक महीने वहां रहा, ऐसा माहौल ही नजर नहीं आ रहा था। जिस प्रकार से विपक्षी पार्टियों का सफाया हुआ है, यह लोकतंत्र के लिए उचित नहीं है। अब समय आ गया है कि EVM को लेकर जो बात मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी कह रहे हैं उस पर गंभीरता से विचार किया जाए।