
नदबई शहर में चुंगी के पास घनश्याम शर्मा के सौजन्य से हो रही श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन अंतरराष्ट्रीय कथा वाचक भागवत भास्कर श्री कृष्ण चंद्र शास्त्री ठाकुर जी ने विराट स्वरूप, श्री ध्रुव चरित्र का वर्णन किया। शास्त्री जी ने श्री ध्रुव चरित्र की कथा सुनाई। उन्होंने बताया कि ध्रुव बाल्यकाल में ही अपनी दृढ़ भक्ति और तपस्या से भगवान विष्णु को प्रसन्न करने वाले अद्वितीय भक्त थे। ध्रुव की कथा से यह सीख मिलती है कि संकल्प और भक्ति से जीवन में कोई भी उद्देश्य प्राप्त किया जा सकता है। उन्होंने कहा, जीवन में दुख और सुख दोनों ही हमारे आध्यात्मिक विकास के लिए हैं। दुख हमें सिखाता है कि ईश्वर के प्रति आस्था कैसे रखी जाए, और सुख हमें यह सिखाता है कि विनम्रता से जीवन कैसे जिया जाए।
कथा स्थल पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु कथा सुनने पहुंचे। जिन्होंने इस आध्यात्मिक प्रसंग का रसपान किया। इस कथा ने न केवल नदबई के नागरिकों को बल्कि आसपास के क्षेत्रों से आए श्रद्धालुओं को भी भक्ति और आध्यात्मिकता के सूत्र में पिरो दिया है। शास्त्री जी की वाणी ने सभी के हृदय में भगवान के प्रति असीम श्रद्धा और आस्था का संचार किया। शाम होते-होते पूरा पंडाल “जय श्रीकृष्ण” के जयकारों से गूंज उठा। कथा में गाए भजनों पर भक्तो ने झूम झूम कर नृत्य किया। कथा सुनने के लिए आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे। आयोजनकर्ता दीपक कटारा ने बताया कि कथा का समय प्रतिदिन दोपहर 1 बजे से शाम 5 बजे तक रखा गया है। इसके बाद आरती कर प्रसाद वितरित किया गया।